Tajawal

Sunday 26 June 2016

हाजी मस्तान: मुम्बई अंडरवर्ल्ड का सबसे पहले और सबसे ताक़तवर डॉन की कहानी-

हाजी मस्तान: मुम्बई अंडरवर्ल्ड का सबसे पहले और सबसे ताक़तवर डॉन की कहानी-


एस. हुसैन जैदी साहब की मुम्बई अंडरवर्ल्ड पर लिखी किताब ‘डोंगरी से दुबई तक’ माफिया के इतिहास को सिलसिलेवार तरीके से दर्ज करने की पहली कोशिश है। इसमें हाजी मस्तान करीम लाला, वरदराजन, छोटा राजन, अबू सलेम जैसे कुख्यात रिरोहबाज़ो की कहानी तो है ही, लेकिन इन सब के ऊपर एक ऐसे इंसान की कहानी है, जो अपने पिता के पुलिस विभाग में होने के बावजूद माफिया का बेताज बादशाह बना और पूरी मुम्बई पर राज़ किया और शायद आज भी कर रहा है।
जब भी किसी माफिया गैंग या डॉन की बात चलती है तो सबके ज़हन में जो सबसे पहला नाम आता है वो है मुम्बई अंडरवर्ल्ड का डॉन दाऊद इब्राहीम, लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं की जब माफिया सरगनाओं ने मुम्बई(बम्बई) में अपनी ज़़डे जमाना शुरू कर दिया था तब तो दाऊद ने गुनाहों की इस सरजमीं पर अपना पैर भी नहीं रखा था…तो कौन था वो जिसने देश की आर्थिक नगरी को खौफ और आतंक की नगरी बनाने की शुरूआत की?


एस. हुसैन जैदी साहब की मुम्बई अंडरवर्ल्ड पर लिखी किताब ‘डोंगरी से दुबई तक’ माफिया के इतिहास को सिलसिलेवार तरीके से दर्ज करने की पहली कोशिश है। इसमें हाजी मस्तान करीम लाला, वरदराजन, छोटा राजन, अबू सलेम जैसे कुख्यात रिरोहबाज़ो की कहानी तो है ही, लेकिन इन सब के ऊपर एक ऐसे इंसान की कहानी है, जो अपने पिता के पुलिस विभाग में होने के बावजूद माफिया का बेताज बादशाह बना और पूरी मुम्बई पर राज़ किया और शायद आज भी कर रहा है।
जब भी किसी माफिया गैंग या डॉन की बात चलती है तो सबके ज़हन में जो सबसे पहला नाम आता है वो है मुम्बई अंडरवर्ल्ड का डॉन दाऊद इब्राहीम, लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं की जब माफिया सरगनाओं ने मुम्बई(बम्बई) में अपनी ज़़डे जमाना शुरू कर दिया था तब तो दाऊद ने गुनाहों की इस सरजमीं पर अपना पैर भी नहीं रखा था…तो कौन था वो जिसने देश की आर्थिक नगरी को खौफ और आतंक की नगरी बनाने की शुरूआत की?
हम बात कर रहें हैं बम्बई के 1950-1960 के दशक की, पचास के दशक में भी लोग बम्बई की तरफ इस तरह भागते थे जैसे परवाने शमा की तरफ भागते हैं। और इन्हीं परवानों में से एक था हाजी मस्तान। सब जानते हैं कि हाजी मस्तान मुम्बई अंडरवर्ल्ड का पहला डॉन हैं। हाजी मस्तान मुंबई अंडरवर्ल्ड का सबसे ताकतवर डॉन था। लेकिन इस शक्तशाली डॉन ने अपनी पूरी जिंदगी में किसी की जान नहीं ली। किसी पर हमला नहीं किया। यहां तक कि एक भी गोली नहीं चलाई। बावजूद इसके हाजी मस्तान जुर्म की काली दुनिया में सबसे बड़ा नाम था।
मस्तान हैदर मिर्जा का जन्म 1 मार्च, 1926 को तमिलनाडु के कुड्डलूर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पनानकुलम गांव के एक किसान परिवार में हुआ था। मस्तान के पिता हैदर मिर्जा मेहनतकश लेकिन तंगहाल किसान थे। रोटी-रोजी का इंतजाम करने में नाकामयाब रहने पर अपने बेटे के साथ बम्बई आ गए थे। उन्होंने क्रॉफोर्ड मार्केट के करीब बंगालीपूरा में जैसे तैसे मैकेनिक की एक दुकान खोल ली जिसमें वे साइकिलें और मोटरसाइकिलें सुधारा करते थे।
हर बार भी जब भी वह अपनी बगल से गुजरती चमचमाती कार को सरपट भागते हुए देखता या मालाबार हिल के ठाठदार बंगलों के पास से गुजरता, तो उसका ध्यान अपने मैले-कुचैले हाथों पर जाता और वह सोचने लगता कि क्या कोई ऐसा भी दिन आएगा जब उसके पास भी ऐसी ही कारें और बंगले होंगे।



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