आमतौर पर हर इस्लामी स्कॉलर या मुक़र्रिर अपने खिताब में एक बात जरूर कहता है कि मुसलमानो के सबसे बड़े दुश्मन यहूद और नसारा हैं और इस्लामी दुनिया के खिलाफ इन्होंने एक लंबा रक्त रंजित युद्ध लड़ा था जिसे ये क्रूसेड कहते हैं।
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दूसरी तरफ हमारा प्यारा भारतवर्ष है , जिसके निवासियों याने हिंदुओं के साथ यहां के मुसलमानो का रक्त सम्बन्ध है ।यहां के अधिकतर मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू ही थे और यहां के हिंदुओं को उदार और सहिष्णु कहा जाता है।।।
आइये ज़रा देखें कि ईसाई देशों और भारत देश मे क्या क्या भिन्नताएं हैं।
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अमेरिका में जब मुसलमानों के खिलाफ जब हेट स्पीच आती है तो हज़ारो ईसाई परिवार अपने घर के बाहर लिख देते है कि 'मैं मुस्लिम हूँ।'
इसी तरह हिजाब वाली से कोई बदतमीजी होती है तो ईसाई और यहूदी औरतें मुसलमान औरतों के साथ हिजाब पहनकर प्रदर्शन करती है।।।
इसी तरह ब्रिटेन में मस्जिद के बाहर एक ईसाई शख्स मुसलमानों पर गाड़ी चढ़ा देता है, फिर उसी मस्जिद का इमाम उसे बचाता है।अगले ही दिन ईसाई भी मुसलमानों के सपोर्ट में सड़क पर दिखाई देते है। इस तरह की चीजें पश्चिम में आमतौर पर दिख जाती है।उन देशों में , जिन्हें इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है।।।नीदरलैंड और फ्रांस के चुनावों में आपने देखा होगा कि जनता ने उन कट्टरपंथी नेताओ को धूल चटा दी जिन्होंने चुनाव जीतने पर मस्जिदों को बंद करा देने की घोषणा की थी , और जनता ने मेंक्रो जैसे उदारवादी को सत्ता सौंप दी ///
पर हमारे उदार और सहिष्णु देश मे विडम्बना यह है कि हिन्दू समाज अपने कट्टरपंथियों का विरोध करना तो दूर , उल्टे उनको अपना मसीहा और हृदय सम्राट बना लेता है और चुनाव में उनको भारी बहुमत से जिता कर उनको सत्ता सौंप देता है।कल ही एक नेता ने बयान दिया है कि अमरनाथ हमले के विरोध में हजयात्रियों पर हमले किये जाएंगे। कोई साध्वी कहती है कि भारत को मुस्लिम मुक्त किया जाएगा। लोग सड़कों पर निर्दोष मुस्लिमों को मार रहे हैं और शेष हिन्दू जनता या तो वीडियो बना रही है या इस कांड को मौन समर्थन दे रही है///
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अब आप बताइए कि पश्चिम के ईसाई बहुसंख्यक समाज और भारत के हिन्दू समाज मे कितना बड़ा अंतर है ///
महान भारत के लिए सामजिक सदभाव सबसे ज्यादा जरूरी है जो खत्म होता जा रहा है।तो क्या अब यह मान लिया जाए कि जहां एक ओर यहूदो नसारा ने मुसलमानो से अपनी दुश्मनी को भुला दिया है और एक नया , सभ्य, प्रगतिशील राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है
, वहीं दूसरी ओर भारत के उदार और सहिष्णु कहे जाने वाले हिन्दू समाज ने मुसलमानो से अपने बरसों पुराने रक्त-सम्बन्धों को भुला दिया है और देश मे ऐसी स्थिति के निर्माण में मदद कर रहा है जो अंततः इस महान देश को गृहयुद्ध की राह पर ले जाने वाला है ???
मोहम्मद आरिफ दगिया
14/07/2017
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दूसरी तरफ हमारा प्यारा भारतवर्ष है , जिसके निवासियों याने हिंदुओं के साथ यहां के मुसलमानो का रक्त सम्बन्ध है ।यहां के अधिकतर मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू ही थे और यहां के हिंदुओं को उदार और सहिष्णु कहा जाता है।।।
आइये ज़रा देखें कि ईसाई देशों और भारत देश मे क्या क्या भिन्नताएं हैं।
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अमेरिका में जब मुसलमानों के खिलाफ जब हेट स्पीच आती है तो हज़ारो ईसाई परिवार अपने घर के बाहर लिख देते है कि 'मैं मुस्लिम हूँ।'
इसी तरह हिजाब वाली से कोई बदतमीजी होती है तो ईसाई और यहूदी औरतें मुसलमान औरतों के साथ हिजाब पहनकर प्रदर्शन करती है।।।
इसी तरह ब्रिटेन में मस्जिद के बाहर एक ईसाई शख्स मुसलमानों पर गाड़ी चढ़ा देता है, फिर उसी मस्जिद का इमाम उसे बचाता है।अगले ही दिन ईसाई भी मुसलमानों के सपोर्ट में सड़क पर दिखाई देते है। इस तरह की चीजें पश्चिम में आमतौर पर दिख जाती है।उन देशों में , जिन्हें इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है।।।नीदरलैंड और फ्रांस के चुनावों में आपने देखा होगा कि जनता ने उन कट्टरपंथी नेताओ को धूल चटा दी जिन्होंने चुनाव जीतने पर मस्जिदों को बंद करा देने की घोषणा की थी , और जनता ने मेंक्रो जैसे उदारवादी को सत्ता सौंप दी ///
पर हमारे उदार और सहिष्णु देश मे विडम्बना यह है कि हिन्दू समाज अपने कट्टरपंथियों का विरोध करना तो दूर , उल्टे उनको अपना मसीहा और हृदय सम्राट बना लेता है और चुनाव में उनको भारी बहुमत से जिता कर उनको सत्ता सौंप देता है।कल ही एक नेता ने बयान दिया है कि अमरनाथ हमले के विरोध में हजयात्रियों पर हमले किये जाएंगे। कोई साध्वी कहती है कि भारत को मुस्लिम मुक्त किया जाएगा। लोग सड़कों पर निर्दोष मुस्लिमों को मार रहे हैं और शेष हिन्दू जनता या तो वीडियो बना रही है या इस कांड को मौन समर्थन दे रही है///
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अब आप बताइए कि पश्चिम के ईसाई बहुसंख्यक समाज और भारत के हिन्दू समाज मे कितना बड़ा अंतर है ///
महान भारत के लिए सामजिक सदभाव सबसे ज्यादा जरूरी है जो खत्म होता जा रहा है।तो क्या अब यह मान लिया जाए कि जहां एक ओर यहूदो नसारा ने मुसलमानो से अपनी दुश्मनी को भुला दिया है और एक नया , सभ्य, प्रगतिशील राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है
, वहीं दूसरी ओर भारत के उदार और सहिष्णु कहे जाने वाले हिन्दू समाज ने मुसलमानो से अपने बरसों पुराने रक्त-सम्बन्धों को भुला दिया है और देश मे ऐसी स्थिति के निर्माण में मदद कर रहा है जो अंततः इस महान देश को गृहयुद्ध की राह पर ले जाने वाला है ???
मोहम्मद आरिफ दगिया
14/07/2017
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