Tajawal

Monday 18 January 2016

डॉ मौरिस बुकाय फ्रांस के सबसे बड़े डाक्टर थे, और उनका धर्म ईसाई था ॥
1898 मे जब मिस्र मे लाल सागर के किनारे एक अति प्राचीन मानव शरीर मिला जो आश्चर्यजनक रूप से हज़ारों साल गुजर जाने के बाद भी सुरक्षित था, सभी को इस मृत शरीर का रहस्य जानने की उत्सुकता रहती थी इसीलिए इस शरीर को 1981 मे चिकित्सकीय खोज के लिए फ्रांस मंगवाया गया और इस शरीर पर डाक्टर मौरिस ने परीक्षण किए ….
परीक्षणों से डाक्टर मौरिस ने निष्कर्ष निकाले कि जिस व्यक्ति की ये मृत देह है उसकी मौत समुद्र मे डूबने के कारण हुई थी क्योंकि डाक्टर मौरिस को उस मृत शरीर मे समुद्री नमक का कुछ भाग मिला था, साथ ही ये भी पता चला कि इस व्यक्ति को डूबने के कुछ ही समय बाद पानी से बाहर निकाल लिया गया था …. लेकिन ये बात डाक्टर मौरिस के समक्ष अब भी एक पहेली थी कि आखिर ये शरीर अपनी मौत के हजारो साल बाद भी सड़ गल कर नष्ट क्यों नहीं हुआ ….
तभी उन्हें अपने एक सहकर्मी से पता चला कि मुस्लिम लोग बिना जांच रिपोर्ट के सामने आए ही ये कह रहे हैं कि ये व्यक्ति समुद्र मे डूब कर मरा था, और ये मृत देह उस फिरऔन की है जिसने अल्लाह के नबी हजरत मूसा (अलैहि सलाम) और उनके अनुयायियों का कत्ले आम कराना चाहा था, क्योंकि फिरऔन की लाश के सदा सुरक्षित रहने और उसके समुद्र मे डूब कर मरने की बात उनकी पवित्र पुस्तक कुरान मे लिखी है जिसपर वो विश्वास करते हैं …
मौरिस को ये सोचकर बहुत हैरत हुई कि इस मृत देह के समुद्र मे डूब कर मरने की जिस बात का पता मैंने बड़ी बड़ी अत्याधुनिक मशीनों की सहायता से लगाया वो बात मुस्लिमों को पहले से कैसे मालूम चल गई ? और जबकि इस लाश के अपनी मृत्यु के हजारों साल बाद भी नष्ट न होने का पता 1981से महज़ 83 साल पहले चला है, तो उनकी कुरान मे ये बात 1400 साल पहले कैसे लिख ली गई ??
इस शरीर की मौत के हजारों साल बाद भी इस शरीर के बचे रह जाने का कोई वैज्ञानिक कारण डाक्टर मौरिस या अन्य वैज्ञानिक जब पता न लगा सके तो इसे ईश्वर के चमत्कार के अतिरिक्त और क्या माना जा सकता था ??
बाइबल के आधार पर भी मृत देह के मिलने की लोकेशन और चिकित्सकीय परीक्षण के आधार पर उस मृत शरीर की लगभग 3000 वर्ष की उम्र होने के कारण मौरिस को ये विश्वास तो हो रहा था कि ये शरीर फिरऔन का ही है, अत: डाक्टर ने फिरऔन के विषय मे अधिक जानने के लिए तौरात शरीफ (बाइबल : ओल्ड टेस्टामेण्ट) का अध्ययन करने का निर्णय किया, लेकिन तौरात मे उन्हें सिर्फ इतना लिखा हुआ मिला कि फिरऔन और उसकी फौज समुद्र मे डूब गए और उनमें से एक भी नहीं बचा . लेकिन फिरऔन की लाश का कहीं जिक्र तक न था …
मौरिस के ज़हन मे कई सवाल खटकते रहे, और आखिरकार वो इन सवालों के जवाब हासिल करने सऊदी अरब मे चल रही एक बड़ी मेडिकल सेमिनार मे हिस्सा लेने पहुंच गए, जहाँ उन्होंने फिरऔन की मृत देह के परीक्षण मे जो पाया वो बताया, उसी वक्त डाक्टर मौरिस की बात सुनकर एक मुस्लिम डाक्टर ने कुरान पाक खोलकर सूरह यूनुस की ये आयत पढ़कर सुना दी कि…
♥ अल कुरान : “इसलिए हम तेरे जिस्म को बचा लेंगे, ताकि तू अपने बाद वालों के लिए एक निशानी हो जाए ! बेशक बहुत से लोग हमारी निशानियों की तरफ से लापरवाह रहते हैं ” – [सुरह: यूनुस:आयत-92]
इस आयत का डाक्टर मौरिस बुकाय पर कुछ ऐसा असर पड़ा कि उसी वक्त खड़े होकर उन्होने ये ऐलान कर दिया कि- “ मैने आज से इस्लाम कुबूल कर लिया, और इस पवित्र कुरान पर विश्वास कर लिया ”
इसके बाद अपने वतन फ्रान्स वापस जाकर कई साल तक डाक्टर मौरिस कुरान और साइंस पर रिसर्च करते रहे, और फिर उसके बाद कुरआन के साइंसी चमत्कारों के विषय मे ऐसी ऐसी किताबें लिखी जिन्होंने दुनियाभर मे धूम मचा दी

1 comment:

Khaas Nazar said...

allah sabko hidayt de.

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