Tajawal

Sunday 26 June 2016

हाजी मस्तान: मुम्बई अंडरवर्ल्ड का सबसे पहले और सबसे ताक़तवर डॉन की कहानी-

हाजी मस्तान: मुम्बई अंडरवर्ल्ड का सबसे पहले और सबसे ताक़तवर डॉन की कहानी-


एस. हुसैन जैदी साहब की मुम्बई अंडरवर्ल्ड पर लिखी किताब ‘डोंगरी से दुबई तक’ माफिया के इतिहास को सिलसिलेवार तरीके से दर्ज करने की पहली कोशिश है। इसमें हाजी मस्तान करीम लाला, वरदराजन, छोटा राजन, अबू सलेम जैसे कुख्यात रिरोहबाज़ो की कहानी तो है ही, लेकिन इन सब के ऊपर एक ऐसे इंसान की कहानी है, जो अपने पिता के पुलिस विभाग में होने के बावजूद माफिया का बेताज बादशाह बना और पूरी मुम्बई पर राज़ किया और शायद आज भी कर रहा है।
जब भी किसी माफिया गैंग या डॉन की बात चलती है तो सबके ज़हन में जो सबसे पहला नाम आता है वो है मुम्बई अंडरवर्ल्ड का डॉन दाऊद इब्राहीम, लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं की जब माफिया सरगनाओं ने मुम्बई(बम्बई) में अपनी ज़़डे जमाना शुरू कर दिया था तब तो दाऊद ने गुनाहों की इस सरजमीं पर अपना पैर भी नहीं रखा था…तो कौन था वो जिसने देश की आर्थिक नगरी को खौफ और आतंक की नगरी बनाने की शुरूआत की?


एस. हुसैन जैदी साहब की मुम्बई अंडरवर्ल्ड पर लिखी किताब ‘डोंगरी से दुबई तक’ माफिया के इतिहास को सिलसिलेवार तरीके से दर्ज करने की पहली कोशिश है। इसमें हाजी मस्तान करीम लाला, वरदराजन, छोटा राजन, अबू सलेम जैसे कुख्यात रिरोहबाज़ो की कहानी तो है ही, लेकिन इन सब के ऊपर एक ऐसे इंसान की कहानी है, जो अपने पिता के पुलिस विभाग में होने के बावजूद माफिया का बेताज बादशाह बना और पूरी मुम्बई पर राज़ किया और शायद आज भी कर रहा है।
जब भी किसी माफिया गैंग या डॉन की बात चलती है तो सबके ज़हन में जो सबसे पहला नाम आता है वो है मुम्बई अंडरवर्ल्ड का डॉन दाऊद इब्राहीम, लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं की जब माफिया सरगनाओं ने मुम्बई(बम्बई) में अपनी ज़़डे जमाना शुरू कर दिया था तब तो दाऊद ने गुनाहों की इस सरजमीं पर अपना पैर भी नहीं रखा था…तो कौन था वो जिसने देश की आर्थिक नगरी को खौफ और आतंक की नगरी बनाने की शुरूआत की?
हम बात कर रहें हैं बम्बई के 1950-1960 के दशक की, पचास के दशक में भी लोग बम्बई की तरफ इस तरह भागते थे जैसे परवाने शमा की तरफ भागते हैं। और इन्हीं परवानों में से एक था हाजी मस्तान। सब जानते हैं कि हाजी मस्तान मुम्बई अंडरवर्ल्ड का पहला डॉन हैं। हाजी मस्तान मुंबई अंडरवर्ल्ड का सबसे ताकतवर डॉन था। लेकिन इस शक्तशाली डॉन ने अपनी पूरी जिंदगी में किसी की जान नहीं ली। किसी पर हमला नहीं किया। यहां तक कि एक भी गोली नहीं चलाई। बावजूद इसके हाजी मस्तान जुर्म की काली दुनिया में सबसे बड़ा नाम था।
मस्तान हैदर मिर्जा का जन्म 1 मार्च, 1926 को तमिलनाडु के कुड्डलूर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पनानकुलम गांव के एक किसान परिवार में हुआ था। मस्तान के पिता हैदर मिर्जा मेहनतकश लेकिन तंगहाल किसान थे। रोटी-रोजी का इंतजाम करने में नाकामयाब रहने पर अपने बेटे के साथ बम्बई आ गए थे। उन्होंने क्रॉफोर्ड मार्केट के करीब बंगालीपूरा में जैसे तैसे मैकेनिक की एक दुकान खोल ली जिसमें वे साइकिलें और मोटरसाइकिलें सुधारा करते थे।
हर बार भी जब भी वह अपनी बगल से गुजरती चमचमाती कार को सरपट भागते हुए देखता या मालाबार हिल के ठाठदार बंगलों के पास से गुजरता, तो उसका ध्यान अपने मैले-कुचैले हाथों पर जाता और वह सोचने लगता कि क्या कोई ऐसा भी दिन आएगा जब उसके पास भी ऐसी ही कारें और बंगले होंगे।



बॉयफ्रेंड्स के महंगे शौक पूरे करने के लिए 25 लाख रुपयों से भरी तिजोरी ही उड़ा डाली।


बॉयफ्रेंड्स के महंगे शौक पूरे करने के लिए 25 लाख रुपयों से भरी तिजोरी ही उड़ा डाली।
लखनऊ : गर्लफ्रेंड की खातिर चोरी व लूट के मामले तो अक्सर सामने आते हैं, मगर विभूति खंड इलाके में बीबीए की दो छात्राओं ने अपने बॉयफ्रेंड्स के महंगे शौक पूरे करने के लिए 25 लाख रुपयों से भरी तिजोरी ही उड़ा डाली।
सीआरपीएफ के कमांडेंट के घर में किराए पर रह रही दोनों छात्राओं ने मैकेनिक बुलाकर मकान मालिक के कमरों की डुप्लीकेट चाभियां बनवाईं और बॉयफ्रेंड की मदद से हाथ साफ कर दिया। बॉयफ्रेंड्स को महंगी बाइक गिफ्ट करने के साथ नगदी में बराबर का हिस्सा दिया।
अपने लिए स्कूटी व अन्य महंगे सामान खरीद डाले। पुलिस ने दोनों छात्राओं के साथ बीडीएस के छात्र को गिरफ्तार करके 16.73 लाख रुपये, दो बाइक, स्कूटी व अन्य सामान बरामद किए हैं, जबकि दूसरी छात्रा का दोस्त एमबीए का छात्र फरार है।
एसएसपी मंजिल सैनी ने बताया कि सीआरपीएफ के कमांडेंट रमेश कुमार सिंह का घर विभूतिखंड के वास्तुखंड में है। उनके यहां किराएदार मीनाक्षी पंत छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले की रहने वाली है। वह बीबीडी से बीबीए की पढ़ाई कर रही थी। उसके साथ हरदोई की विष्णुपुरी कॉलोनी की अंशिका ठाकुर भी रहती थी, जो सेठ विशंभरनाथ कॉलेज में बीबीए तृतीय वर्ष की छात्रा है।
मीनाक्षी का बॉय फ्रेंड श्रीधर चटर्जी अलीगंज की विष्णुपुरी कॉलोनी में रहता है जो बीबीडी में बीडीएस का छात्र है। बलरामपुर जिले के जरवा थाने के पुरानी बाजार तुलसीपुर निवासी उसका दोस्त शांतनु सिंह भी एमबीए का छात्र होने के साथ मुंशी पुलिया पर किराए पर रहकर बैंकिंग की तैयारी कर रहा है। वह अंशिका का बॉयफ्रेंड है।
चारों के महंगे शौक थे। इनमें मीनाक्षी अपने पिता द्वारा हर महीने भेजे जा रहे 25 हजार रुपये में से अपने व बॉयफ्रैंड के कुछ शौक पूरे कर लेती थी। इसके बावजूद दोनों खुश नहीं थे।
ऐसे अंजाम दी वारदात
झारखंड में सीआरपीएफ के कमांडेंट रमेश कुमार सिंह का परिवार पिछले महीने लखनऊ आया था। दोनों छात्राओं का उनके घर आना-जाना लगा रहा। इस दौरान उन्होंने रमेश के घर में महंगी वस्तुओं के साथ तिजोरी देखी। अनुमान लगाया कि वह गहने-नगदी तिजोरी में बंद करके रखते हैं। कुछ दिनों बाद रमेश का परिवार सेकंड फ्लोर पर रहने चला गया।
फर्स्ट फ्लोर पर किराए पर रह रही मीनाक्षी व अंशिका से देखभाल की बात कही। इसके बाद दोनों छात्राओं ने मकान मालिक के घर में हाथ साफ करने की साजिश रचनी शुरू की। उन्होंने अपने बॉय फ्रेंड्स को भी मोटा माल मिलने का लालच देकर साजिश में शामिल किया।

Thursday 23 June 2016

47वीं बार हुए परीक्षा में नाकाम, 10वीं पास करने के बाद ही शादी करने की क़सम खाने वाले शिवचरण

47वीं बार हुए परीक्षा में नाकाम, 10वीं पास करने के बाद ही शादी करने की क़सम खाने वाले शिवचरण


राजस्थान निवासी 82 वर्षीय शिव चरण ने कसम खायी हुई है कि जब तक वह 10 वीं कक्षा की परीक्षा पास नहीं कर लेंगे तब तक शादी नहीं करेंगे |
रविवार को  राजस्थान बोर्ड के 10 वीं कक्षा के परिणाम की घोषणा ने एक बार फिर उनकी उम्मीदों पर पानी फ़ेर दिया है इस बार वह 47 वीं बार परीक्षा पास करने में असफल रहे |
जयपुर से 140 किलोमीटर दूर बहरोड़ शहर में कोहरी गांव का निवासी शिवचरण को शिवोजिराम और पप्पू के नाम से भी जाना जाता है | शिव चरण एक मंदिर में रहता है,और  अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार की वृद्धावस्था पेंशन पर निर्भर है।
शिव चरण ने सोमवार को आईएएनएस को से बात करते हुए कहा कि जब तक मैं जिंदा हूँ तब तक परीक्षा देता रहूँगा और ये सिर्फ़ परीक्षा पास करना नहीं है बल्कि इससे मुझे शादी करने का अवसर भी मिलेगा |
आँख,कान जोड़ों के दर्द की समस्याओं के बावुजूद वह परीक्षा पास करने के जूनून को बरक़रार रखे हुए हैं | उन्होंने कहा कि 1995 में मैंने  गणित को छोड़कर सभी विषयों में परीक्षा पास कर ली थी | हालाँकि इस बार सभी विषयों में विफल रहा कुछ में शून्य भी मिला | चरण ने अपनी पहली बोर्ड की परीक्षा 1969 में दी थी 

Tuesday 14 June 2016

दुनिया का सबसे बड़ा इफ्तार मस्जिद ए हरम में होता है एक साथ 3 लाख लोग करते हैं इफ्तारी!!!!

दुनिया का सबसे बड़ा इफ्तार मस्जिद ए हरम में होता है  एक साथ 3 लाख लोग करते हैं इफ्तारी!!!!

दुनिया का सबसे बड़ा इफ़्तार मदीना शहर में स्थित मस्जिद ए हरम में दुनिया का सबसे बड़ा इफ़्तार देखने को मिल रहा है. 12000 से ज़्यादा मेज़ें रोज़ लगाई जा रही हैं, इन मेज़ों पे तक़रीबन 3 लाख मुसलमान एक दिन में इफ़्तार कर रहे हैं, इस पूरे कार्यक्रम का रोज़ाना का ख़र्चा 10 लाख सऊदी रियाल है जो भारतीय रुपयों में लगभग 1.78 करोड़ आएगा.
खाने पीने की बात करें तो 130000 लीटर ज़मज़म पीया जा रहा है जबकि 50000 लीटर अरबी कॉफ़ी, 300000 ब्रेड रोल, 50000 लीटर दही और दूध और 50000 लीटर फलों के जूस और 40 टन ख़जूर रोज़ाना लग रहे हैं.

इफ़्तार 15 मिनट तक चलता है. खाने की व्यवस्था अलग अलग लोगों ने ले राखी है. इसमें लेकिन एक बड़ी अच्छी बात ये भी है कि इफ़्तार ख़त्म होने के 15 मिनट बाद वहाँ पर किसी भी गंदगी का कोई निशाँ नहीं रहता, ना आपको कहीं कोई पानी नज़र आएगा ना ही खाने का निशाँ.

Monday 13 June 2016

FAIRMONT MAKKAH CLOCK ROYAL TOWER

FAIRMONT MAKKAH CLOCK ROYAL TOWER

Makkah Clock Royal Tower, A Fairmont Hotel
                                            Image result for clock royal tower
A beacon for pilgrims in the heart of the Holy City
Located adjacent to the Masjid Al Haram, Fairmont Makkah Clock Royal Tower, boasts a prime location as the closest hotel to Kaaba and yet the best for Umrah and Hajj. Standing as one of the world’s tallest buildings with 76 floors, Makkah Clock Royal Tower, the focal point of the Abraj Al Bait Complex, part of the King Abdul Aziz Endowment Project, is the iconic symbol of hospitality in the Holy City. 
In addition to the ultimate comfort and casual elegance of the 1542 guest rooms suites and Residences, the five-star hotel provides 56 elevators that allow easy access to and from Al Masjid Al Haram. Combining luxurious design with the warm tradition of genuine Arab hospitality, the nine state-of-the-art dining venues are perfect for accommodating a wide range of social events and intimate gatherings.  
Fairmont Makkah Clock Royal Tower offers unmatched hospitality throughout the ultimate exclusive hotel experience with Fairmont Gold where our discerning guests have the privilege of choosing their rooms showcasing unrivaled views of either the Kaaba, Haram or to The Holy City of Makkah. A captivating view of Masjid Al Haram and Kaaba and a passion for uncompromising service combine to create an experience that is exquisite and truly unforgettable in the Fairmont Royal Floor, where all the service and luxury synonymous to the Fairmont name go yet another step further.Experience a peaceful residential experience with luxury hotel services at our newly opened Fairmont Residences. Located within the Fairmont Makkah Clock Royal Tower, the residences offer the ultimate in convenience and luxury, coupled with magnificent views of the Kaaba and the Holy city. Designed with comfort in mind, the spacious residences are a perfect home for pilgrims and families who desire to enjoy the serenity of the Holy City from their rooms.  
The five-star hotel offers more than 3,200 square meter of adaptable function space across two floors, including a fully equipped business center with secretarial service, meeting rooms with a pre-function area, and a spectacularballroom, in addition to a videoconferencing facility, a media room with live broadcast capabilities, a live translation room.  
At our state-of-the art Health Club, you’ll enjoy all the world-class amenities, with Fairmont’s world-renowned service and attention to detail. Let your daily stress melt away in our wonderful Jacuzzi, Sauna and Steam Rooms.

रमजान के अवसर पर दुबई में घरो के बाहर गरीबो के लिए लगाए जा रहे है फ्रिज

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दुबई में घरो के बाहर फ्रिज को इंस्टाल किया जा रहा है जिससे लेबर और गरीब को पानी या खाने की किल्लत रमजान में ना हो!
इस मुहीम की शुरुआत करने वाले लोगो ने इससे पहले एक ग्रुप बना के फेसबुक पे शुरू किया है जिससे कि उन लोगो की मदद की जा सके जो रमजान में अपने घरो के बाहर गरीबो के लियें फ्रिज लगवाना चाहते है
पब्लिक फ्रिज अपार्टमेंट और विलास के बाहर लगाया जा रहा है

रोज़ाना इफ़्तार कराता है लखनऊ का ये होटल

रोज़ाना इफ़्तार कराता है लखनऊ का ये होटल

alamgeer hotel
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लखनऊ – अवध के नवाबो का शहर लखनऊ अदब और आदाब के लियें जाना जाता है पुराने लखनऊ के अमीनाबाद ईलाक में अलमगीर होटल अपने खाने के लियें मशहूर है लेकिन इस होटल की रमजान में ख़ास बात है ये रोज़ाना रोजेदारो को इफ्तार पार्टी देता है जिसमे कोई भी चाहे अमीर हो या गरीब जा के अपना रोजा खोल सकता है



alamgeer hotel
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Sunday 12 June 2016

यूपी पुलिस की गुंडागर्दी रोजेदार को पीट-पीट कर किया बेहोश, पेशाब पिलाने की कोशिश

यूपी पुलिस की गुंडागर्दी रोजेदार को पीट-पीट कर किया बेहोश, पेशाब पिलाने की कोशिश!!!!!!!!!! गोरखपुर

गोरखपुर। मुस्लिमों की हमदर्द कहलाने वाली समाजवादी पार्टी सरकार में गोरखपुर में एक थानेदार ने एक रोजेदार पर ऐसा जुल्म ढाया कि सुनकर कोई भी सिहर जाएगा। सूदखोरों के दवाब में आकर पुलिस ने परवेज आलम को घर से उठा लिया और उसे इतना पीटा कि वह बेहोश हो गया। जब परवेज ने रोजे में होने की बात कही और पानी मांगा, तो थानेदार ने उसे पेशाब पिलाने तक की धमकी दे डाली।

मामला गोरखपुर के गगहा थाने से जुड़ा हुआ है, जहां पैसे की लेनदेन में कर्जदार परवेज आलम निवासी ग्राम गजपुर थाना गगहा को थानेदार ने महज इसलिए मारा-पीटा क्योंकि इलाके के सूदखोरों से उसने कुछ पैसा सूद पर लिया था और उनसे ब्याज की रकम को लेकर विवाद हो गया था।
सूदखोरों के कहने पर सात जून को गगहा थाने के गजपुर चौकी के प्रभारी व सिपाहियों ने परवेज को जम कर मारा-पीटा। इतना ही नहीं, चौकी प्रभारी आरएन दुबे व सिपाहियों ने उसे पानी मांगने पर पेशाब पिलाने की धमकी दे डाली। इस मामले को लेकर आज गोरखपुर के डीआईजी शिव सागर सिंह से मुसलमानों के एक समूह ने मुलाक़ात की और चौकी प्रभारी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की।
इस घटना की जानकारी होने पर सपा के वरिष्ठ नेता जफ़र अमीन डक्कू भी पीड़ितों के साथ डीआईजी से मिले और पीड़ित को न्याय दिलाने की मांग की। इस सम्बन्ध में डीआईजी शिव सागर सिंह ने बताया कि मामले को गंभीरता से लिया जाएगा और जांच कराकर जो भी लोग दोषी पाए जाएंगे, उनपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

वॉरेन बफे शेयर बाजार का जादूगर

वॉरेन बफे शेयर बाजार का जादूगर!!!!!!

आप अगर उन चीजों को खरीदते हैं, जिनकी आपको बिलकुल जरूरत नहीं है, तो शीघ्र ही आपको उन चीजों को बेचना पड़ेगा जिनकी आपको सबसे जादा जरूरत है.
वॉरेन बफे का नाम आज दुनिया मैं सबको पता हैं, ये नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं, दुनीया इनको वॉरेन बफे के नाम से कम और शेयर बाजार का खिलाडी, वॉल स्ट्रीट का जादूगर और बर्क़शायर हैथवे (Berkshire Hathaway) का बादशहा इस नाम से ज्यादा जानती है, दुनीया मैं ऐसा कोई भी अखबार, टी. वी. चैनेल नहीं होगा जिसमे वॉरेन बफे की चर्चा नहीं होती होंगी.
2008 तक, अनुमानतः 62 अरब U.S डॉलर  की कुल संपत्ति (Net Worth) के कारण फ़ोर्ब्स (Forbes) द्वारा उन्हें दुनिया का सबसे अमीर आदमी (Richest person in the world) आंका गया था।
बल्कि दुनिया मैं वो अरबपति होने के वजह से इतने ज्यादा चर्चा मैं नहीं रहे, जितनेकी, अरबपति होने के बावजूद उनकी जो जीवन शेली हैं उसकी वजह से वो चर्चा मैं रहे, बफे दुनिया के उन सभी अमीरों से हर मायने मैं अलग हैं, कारोबार की पूरी तरह से समाज रखने वाले बफे मैं कई खूबिया हैं जो उनके नाम को एक अलग पहचान देती हैं.
सबसे बड़ी बात ये हैं की बफे ने अपनी कुल संपति का लगभग 85% हिस्सा Bill Gates की Bill & Melinda Gates Foundation को दान मैं देकर इतिहास रच दिया ओर दुनिया का सबसे बड़े दानशुर बन गए….
बफे के पिता शेयर बाजार मैं कारोबारी थे, बफे ने 11 साल की उम्र मैं अपने पिता के साथ शेयर बाजार मैं अपने कारोबारी जीवन की शुरवात की, बफेट नें 13 साल की उम्र मैं अपना पहला आयकर विवरण दायर किया और अपनी साईकिल के ३५ डालर को एक व्यय के रूप में घाटा दिया.
15 साल की उम्र मैं High School अंतिम वर्ष में बफेट और उनके एक साथी नें 25 डालर में एक इस्तेमाल की हुई पिनबाल मशीन खरीदी और उसे एक नाइ की दुकान में रख दिया. मात्र कुछ महीनों में उनके पास तीन मशीनें भिन्न भिन्न जगहों पर हो गई थीं।
20 साल उम्र मैं बफेट नें हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में प्रवेश के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे ठुकरा दिया गया था। फिरWarren Buffett  नें कोलंबिया बिजनेस स्कूल (Columbia Business School) में दाखिला लिया क्योंकि उन्हें पता था की बेंजामिन ग्राहम (Benjamin Graham) और डेविड डोड (David Dodd), दो जाने-माने प्रतिभूति विश्लेषक (securities analyst), वहीं पढ़ते हैं। उन्ही गुरु से बफेट नें शेयर बाजार मैं निवेश करने के गुण सिखे.
आज बफेट के पास जीतनी संपति हैं उनकी जीवन शैली उतनी ही सरल हैं, बफेट आज भी उसी घर मैं रहते हैं जो उन्होंने 5 दशक पहले ख़रीदा था, वे अपनी कार खुद चलते हैं, ना तो उनके पास कोई ड्राईवर हैं, ना कोई सुरक्षा गार्ड, वे कभी निजी विमान से यात्रा नहीं करते, वो अपने सभी CEO को साल मैं केवल एक बार पात्र लिखते हैं..
दोस्तों, वॉरेन बफेट की शक्सीयत को समजना या उनके बारे मैं कोई भी एक राय बना पाना शेयर बाजार की तरह ही पेचीदा हैं.
वॉरेन बफेट के कुछ बेहतरीन टिप्स :-
1 “कमाई : कभी भी अकेली आय पर निर्भर न रहे. आय का दूसरा साधन बनाने के लिये निवेश करे.”
2 “सफलता : जब मौके आते है तभी आप कोई काम करते हो. मेरे जीवन में एक ऐसा पल भी आया था जब मेरे पास उपायों का गठरा पड़ा था. लेकिन यदि मुझे अगले हफ्ते कोई उपाय आता है तो ही मै कुछ कर पाउँगा अन्यथा मै कुछ नही कर पाउँगा.”
3 “खर्च : यदि आपको जिसकी जरुरत नही है वो चीज़े आप खरीद रहे हो तो एक दिन आपको जिन चीजो की जरुरत है उस चीजो को बेचना पड़ेगा.”
4 “सेविंग : खर्च करने के बाद जो बचे उसे सेव न करे लेकिन सेव करने के बाद जो बचा उसे खर्च अवश्य करे.”
5 “जोखिम : कभी भी नदी की गहराई को दो पैरो से नही नापना चाहिये.”
6 “निवेश : कभी भी अपने सारे अन्डो को एक ही बास्केट में न डाले.”
7 “उम्मीद : इमानदारी सबसे महंगा तोहफा है. छोटे लोगो से इसकी उम्मीद ना करे.”
8 “इंसानियत : यदि आप इंसानियत के 1 % लकी लोगो में भी शामिल हो, तो आप 99 % लोगो को इंसानियत सिखा सकते हो.”

Tuesday 7 June 2016

चीन: संकियांग राज्य में रोज़े रखने पर प्रतिबंध जारी

चीन: संकियांग राज्य में रोज़े रखने पर प्रतिबंध जारी

बीजिंग: रमजान की शुरुआत के साथ ही चीन के मुस्लिम बहुल प्रांत संकियांग में सरकारी कर्मचारियों, छात्रों और बच्चों पर रोज़ा रखने पर पाबंदी लगा दी गई। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार चीन की सत्तारूढ़ पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी आधिकारिक तौर पर लामज़हब है और काफी सालों से प्रांत संकियांग में उसने सरकारी कर्मचारियों और बच्चों पर रोज़ा रखने पर पाबंदी लगा रखी है, जबकि इस दौरान होटलों को खुला रखने का आदेश दिया गया।
गौरतलब है कि संकियांग की जनसंख्या 10 लाख के करीब है, जिनमें से ज्यादातर मुसलमान अल्पसंख्यक अवीगोर से संबंध रखते हैं। इस क्षेत्र में अवीगोर मुसलमानों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें होती रहती हैं और चीन अपने पश्चिमी प्रांत संकियांग में तनाव के लिए जिम्मेदार अलगाववादी समूह  को ठहराता है। संकियांग के कई स्थानीय सरकारों के कार्यालयों ने अपनी वेबसाइटों पर रमजान के दौरान रोज़ा  रखने पर प्रतिबंध के संबंध में निविदाएं प्रकाशित किए। केंद्रीय संकियांग कोला सिटी साइट पर सूचीबद्ध नोटिस में लिखा था, ‘पार्टी सदस्य, सरकारी कर्मचारी, छात्र और बच्चे रमज़ान में रोज़ा नहीं रखेंगे और न ही धार्मिक गतिविधियों में भाग लेंगे’. मज़ीद कहा गया कि रमजान के दौरान खाने-पीने और पेय व्यापार भी बंद नहीं किए जाएं गे.
संकियांग राजधानी में शिक्षा ब्यूरो की ओर से चलाई जाने वाली एक वेबसाइट पर पोस्ट किए गए नोटिस में रमजान के दौरान सभी स्कूलों से छात्रों और शिक्षक, धार्मिक गतिविधियों के लिए मस्जिदों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया । दूसरी ओर उत्तरी शहर आलटे में सरकारी पदाधिकारियों ने इस बात पर सहमत हुए कि रमज़ान में बच्चों को रोज़ा रखने से रोकने के लिए ‘माता-पिता से संपर्क बढ़ाया जाए। निर्वासित समूह के  विश्व अवीगोर कांग्रेस के एक अधिकारी ने इन प्रतिबंधों की निंदा करते हुए कहा कि ‘चीन को लगता है कि अवीगोरों के धार्मिक विश्वासों से बीजिंग के नेतृत्व के लिए खतरा हैं।’
याद रहे कि अवीगोर राष्ट्र के बहुमत सामान्य इस्लाम का पालन करना है हालांकि इनमें कुछ लोग सऊदी अरब और अफगानिस्तान में लागू इस्लामी विधि प्रतिबद्ध हैं जैसा कि महिलाओं का नक़ाब पोशी करना और पुरुषों को दाढ़ी रखना, जिनके खिलाफ हाल के वर्षों में चीनी सुरक्षा सेना ने क्रेक डाउन भी किया। पिछले कुछ वर्षों में संकियांग में होने वाली तनाव के कारण सेंकडों लोग मारे गए हैं जबकि चीनी सरकार की ओर से यहाँ शांति की खराब स्थिति के लिए जिम्मेदार इस्लामी चरमपंथियों के साथ साथ पूर्वी तुर्किस्तान के नाम से एक अलग राज्य बनाने वालों को बताया जा रहा है।
दूसरी ओर चीन की राज्य परिषद ने गुरुवार को एक श्वेत पत्र भी जारी किया, जिसमें कहा गया कि संकियांग में धार्मिक आबादी को इतिहास के किसी भी दौर से नहीं मिलाया जा सकता। कहा गया कि रमज़ान के दौरान मुसलमान रेस्टोरेंट द्वारा इस बात का फैसला खुद करेंगे कि वे अपना कारोबार जारी रखेंगे या नहीं, इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। व्हाइट पेपर में यह भी कहा गया कि स्थानीय सरकारें इस बात को सुनिश्चित करें कि रमजान के दौरान धार्मिक गतिविधियां संगठित तरीके से की जा सके।

Monday 6 June 2016

The Do's & Don'ts of Ramadan

Ramadan is the ninth month of the Islamic lunar calendar and is one of the most important months for Muslims, so here's your handy guide to what you should - and shouldn't be - doing during the Holy Month.

DO Exchange Ramadan Greetings 
It is customary to use the greeting “Ramadan Kareem” when meeting Muslims, and at the end of Ramadan, for the three day Eid celebrations, “Eid Mubarak”. You may feel uncomfortable to say the foreign words now but during the month of Ramadan the greetings are everywhere and using them is appreciated.

DO Be Charitable 
An important element of the Holy Month is to be generous to those less fortunate by donating food, clothes or money to individuals and charitable organisations. Muslims are expected to give Zakat which is approximately 2.5% of their annual savings to the less fortunate. However the spirit of giving is all around with many charities such as Adopt-A-Camp allowing everyone to get involved in some way. If you would like to acknowledge your Muslim maid or gardener, a token gift will be appropriate and much appreciated.

DO Be Considerate 
Fasting can play havoc with a person’s eating and sleeping habits, so be sympathetic to people around you. If you feel yourself getting irate or angry just take a deep breath and smile. Remember that it is difficult to function on no food and water.

DO Stop Smoking 
As with eating and drinking, smoking is not allowed in public during the Holy Month of Ramadan. It’s the perfect time to quit; go on…. you know you want to! This is probably the best time to quit as smoking areas are few and far between and you will already be forced to cut down due to lack of smoking space.

DO Avoid Driving at Sundown
As the day draws to a close, the roads fill with people heading to break their fast at Iftar celebrations. They haven’t eaten, or had a drink for twelve hours. If you don’t need to be on the road at that time, you would be wise to wait half an hour.

DO Enjoy the Local Culture 
It’s so easy to live our lives in parallel lines. Ramadan is the one time of year you can blur the edges. Take your family along to one of the many hotel-based Iftar tents, soak up some local life, and don’t forget the backgammon set or a deck of Uno cards. Indulge in Moroccan Mint tea and Arabic delicacies while relaxing with family and friends.

DO Accept Invitations 
If have been invited to an Iftar meal with friends or colleagues, do go along. Remember not to go empty-handed. Arabic desserts or sweets are always a good option to offer your host. This holiday is not about expense and a box of dates will suffice as a gift.

DO NOT Eat in Public 
Show respect for those who are fasting during the day by not eating and drinking in front of them. Most malls, and all hotels, will have one or two eateries open but discreetly tucked away behind screens / closed doors. Remember that chewing gum constitutes eating. Remember not to chew gum when in public or even at your desk at work.

DO NOT Kiss or Hug Your Partner or Friends of the Opposite Sex in Public
As at other times of the year- but especially during Ramadan- avoid demonstrative acts of affection in public, as you will cause offence.

DO NOT Play Loud Music 
Ramadan is a time for prayer and spiritual reflection. As such, it is important to respect the peace by not playing loud music in your home or car.

These are the main Ramadan pointers that you should be aware of. Keep them in mind throughout the month. People tend to enjoy the slow and relaxing pace of the city as a whole during this time, and you can too. Instead of missing the things in life that you cannot have, take the time to appreciate how truly blessed you are.

Sunday 5 June 2016

शहर-ए-दिल्ली की आन, बान, शान कुतुब मीनार

शहर-ए-दिल्ली की आन, बान, शान कुतुब मीनार

दिल्ली की पहचान कुतुब मीनार संभवत: पत्थरों की बनी विश्व की सबसे उंची मीनार है। यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में शामिल कुतुब क्षेत्र की यह मीनार इस्लाम और हिन्दू स्थापत्य का बेजोड़ नमूना है।

दिल्ली के पुरातत्व अधीक्षक के के मोहम्मद ने कहा कि कुतुब मीनार की उंचाई 72. 5 मीटर है। लाल और धूसर बलुआ पत्थरों से बनी है। इस मीनार के आधार का व्यास 14. 32 मीटर और शिखर का व्यास 2. 75 मीटर है।

कुतुब मीनार का निर्माण कुतबुद्दीन ऐबक ने 1199 में शुरू किया था, वह पहली मंजिल ही बना सका। उसके उत्तराधिकारी शम्सुद्दीन इल्तुतमिश ने उपरी तीन मंजिलें और बनवाई। मीनार के आसपास एक उंची दीवार थी, जिसके बाहरी गलियारे को पत्थरों से निर्मित बड़े स्तंभों से सहारा दिया गया था।

मीनार में अरबी तथा नागरी लिपि में कई लेख पत्थरों पर खुदे हैं जो कुतुब का इतिहास बताते हैं। इसकी सतह के शिलालेखों के अनुसार, फिरोज शाह तुगलक और सिकंदर लोदी ने मरम्मत कराई थी। वर्ष 1829 में मेजर आर स्मिथ ने भी इसकी मरम्मत कराई थी।

कुतुब मीनार पर अंकित नागरी और फारसी अभिलेखों से प्रतीत होता है कि सन 1326 और 1368 में बिजली गिरने से इसे दो बार नुकसान हुआ था। पहले नुकसान के बाद मुहम्मद तुगलक ने उसने 1332 में इसकी मरम्मत कराई। दूसरे नुकसान के बाद फिरोज शाह तुगलक ने इसकी मरम्मत कराई थी। बाद में 1503 में सिकंदर लोदी ने भी उपर की मंजिलों की मरम्मत कराई थी।
मोहम्मद ने बताया कि इसमें बारिश का पानी जाने से खतरा उत्पन्न हो गया था, जिसकी तीन साल पहले ‘वाटर पैकिंग’ कर दी गयी है।

वाई डी शर्मा ने लिखा है कि यहां मंदिरों के नक्काशीयुक्त पत्थरों का भी इस्तेमाल हुआ। यहां निर्मित एक छतरी गिर गई थी, जिसकी जगह मेजर स्मिथ ने बाद में इस्लामी शैली की दूसरी छतरी 19वीं शताब्दी के शुरू में बनवाई लेकिन वह बेमेल लगती थी और उसे 1848 में उतार दिया गया। कुतुब मीनार के पूर्वोत्तर में है कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद जिसका निर्माण 1198 में कुतबुद्दीन ऐबक ने कराया था। यह मस्जिद दिल्ली के सुल्तानों द्वारा निर्मित शुरूआती बड़ी मस्जिदों में से एक है।
मस्जिद के पूर्वी मुख्य द्वार के अभिलेख के अनुसार, कुतबुद्दीन ऐबक ने हिंदुओं और जैनों के 27 मंदिरों को तोड़ा तथा उनके मलबे और स्तंभों से यह मस्जिद बनवाई।

मस्जिद परिसर में लौह स्तंभ है जिस पर गुप्तकालीन ब्राह्मी लिपि में संस्कृत अभिलेख के अनुसार, यह चतुर्थ शताब्दी का है। अभिलेख के अनुसार, यह स्तंभ गुप्त वंश के चंद्रगुप्त द्वितीय की याद में विष्णुध्वजा के रूप में विष्णुपद पहाड़ी पर निर्मित किया गया था। स्तंभ के उपर बना गहरा छेद संकेत करता है कि शायद यहां गरूड की प्रतिमा स्थापित की गई होगी।

कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद के उत्तर पश्चिम में इल्तुतमिश का मकबरा है। इसे स्वयं इल्तुतमिश ने 1235 में बनवाया था। मस्जिद का दक्षिणी द्वार अलाउद्दीन खिलजी ने बनवाया था और इसे अलाई दरवाजा कहा जाता है। अलाई दरवाजा पहली इमारत है जिसमें निर्माण और ज्यामितीय अलंकरण के इस्लामी सिद्धांतों का इस्तेमाल किया गया।

कुतुब मीनार के उत्तर में अधूरी बनी अलाई मीनार स्थित है। इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने शुरू किया था लेकिन 24. 5 फुट की पहली मंजिल जब बनी तब खिलजी का देहांत हो गया और मीनार अधूरी रह गई।

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